Priyanka Verma

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लेखनी प्रतियोगिता - गंगा

 गंगा

है पतित पावनी, अनपायनी 
 झर झर बहती मां गंगा,
सिर्फ नदी नही है,
साक्षात प्रतिमूर्ति है ईश्वर की,
निर्मल सी बहती मां गंगा,

कल कल करती इसकी लहरें,
हर लेती है समस्त पाप,
चाहे कितना ही दुख क्यों ना हो,
मिटा देती हैं सबके संताप,

कलयुग में जीवनदायिनी बन,
अपने बच्चों का कष्ट मिटाती मां गंगा,
निश्छल, निर्विरोध सी बहती,
आत्मा को स्वच्छ कर देती मां गंगा।।


प्रियंका वर्मा।।
9/6/22

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6 Comments

Seema Priyadarshini sahay

11-Jun-2022 05:41 PM

बेहतरीन

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Punam verma

10-Jun-2022 12:51 AM

Nice

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Priyanka Verma

09-Jun-2022 07:26 PM

Thank you so much 🙏 all of you💐💐😊

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